ध्यान में ईश्वर को खोजना मन को आनंदमय और युवा अवस्था में बनाए रखने का सीधा तरीका है। ऐसी कुछ अभ्यास हैं जो मानसिक युवावस्था को पोषित करने में मदद करेंगी।
सबसे पहले, मुस्कुराना सीखें – सच्ची मुस्कुराहट। आप जहां भी हों, परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, दिल से मुस्कुराएं। किसी भी प्रकार का क्रोध या द्वेष मन में न रखें। दोस्तों, परिवार, अजनबियों सभी को वास्तविक मुस्कान देने का प्रयास करें। युवा रहने की आधा रहस्य इसी में छिपा है।
यदि आपके पास एक संक्रामक मुस्कान है जो आपके सच्चे आंतरिक अस्तित्व से आती है, तो आप युवा हैं। मैं अक्सर कहता हूं कि यदि आप मुस्कुरा नहीं सकते, तो दर्पण के सामने खड़े हो जाएं और मुंह के कोनों को ऊपर खींचकर खुद को मुस्कुराने का प्रशिक्षण दें! जिस दिन आप मुस्कुराने का मन बना लेंगे, तब आप देखेंगे दुनिया कि हर चीज़ आपको रुलाने की साजिश रचने लगा है! यही जीवन है।
जिस दिन आप धैर्यवान और क्षमाशील होने के लिए मन बना लेंगे, ऐसा प्रतीत होगा कि दूसरों के साथ मिलना-जुलना अचानक कठिन हो गया है। यही जीवन है। हमें अक्सर दूसरों द्वारा सूली पर चढ़ा दिया जाता है, लेकिन किसका नीच प्रकृति हमारे दयालु होने के संकल्प को प्रभावित नहीं करनी चाहिए।
दूसरों को अपने मार्ग पर चलने दें; आप अपने रास्ते पर कायम रहें। यह मनुष्य की स्वीकृति नहीं है जो आप चाहते हैं, बल्कि ईश्वर का प्रमाणीकरण है।
एक बार जब आपको उसकी खुशी मिल जाएगी, तो आप खुश हो जाएंगे। जहां तक हो सके दूसरों को खुश करने का प्रयास करें । किसी को नाराज न करने का प्रयास करें; लेकिन सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, भगवान को प्रसन्न करने के अपने प्राथमिक कर्तव्य के विरुद्ध काम न करने दें। यह इसके लायक नहीं है।
हर समय अपनी मानसिक युवावस्था की मुस्कान का अभ्यास करें। देखें कि आप अपने परीक्षणों के बावजूद कितने घंटों तक अपना संतुलन बनाए रख सकते हैं। जब आप सदैव प्रसन्नतापूर्वक समचित्त रह सकते हैं, तो आप अपने शरीर की प्रत्येक कोशिका को अत्यधिक आनंद के साथ जीवित पाएंगे।
भगवान ने मुझे इतने वर्षों तक आशीर्वाद दिया है। चाहे मेरी मुस्कान बाहर से दिखे या न दिखे, दिव्य आनंद अब हमेशा मेरे साथ है। मेरी चेतना की रेत के नीचे आनंद की महान नदी बह रही है। न तो जीवन की परिवर्तनशीलता और न ही मृत्यु का भूत ये मुझसे छीन सकता है। उस स्थिति को स्थायी और अपरिवर्तनीय बनाना कठिन काम था, लेकिन यह इसके लायक था, करने योग्य था ।
बहुत से लोगों ने ना जाने कितने साल बर्बाद कर दिया है लेकिन उन्हें आनंद नहीं मिला है। उनकी नकल क्यों करें और उन चीजों के पीछे क्यों जाएं जो खुशी का वादा करती हैं और दुख देती हैं?
ध्यान में आत्मा से संपर्क करें, और आपको पता चल जाएगा कि जो मैंने आपको बताया वह सच है। आपके पास एक ऐसा आनंद होगा जिससे आप अलग नहीं होंगे, भले ही उस आनंद के बदले में आपको पूरी दुनिया भी पेश कर दी जाए। पैसा, सेक्स, शराब – कुछ भी उस परम आनंद की बराबरी नहीं कर सकता। यह आपकी आत्मा में सदैव जलती रहने वाली चमक है।
– परमहंस योगानंद जी –