स्वामी रामतीर्थ के दिव्य जीवन के बारे में संक्षिप्त परिचय –
वाल गंगाधर तिलक, लाजपत राय, स्वामी विवेकानन्द, स्वामी रामतीर्थ, श्री अरविंद, स्वामी दयानन्द सरस्वती – ये थे वे चमत्कारी महापुरुष जिन्होंने उन्नीसवीं सदी के उत्तराद्ध में उत्पन्न हो कर अपनी अदम्य तेजस्विता, विलक्षण बुद्धि और अपराजेय सकल्प के बल पर देश की काया-पलट कर दी थी और पुनर्जागरण की ऑधी उत्पन्न की थी । इनमें स्वामी रामतीर्थ का जीवन अत्यन्त विलक्षण, प्रेरणादायक तथा स्फूर्तिदायक था ।
स्वामी राम तीर्थ भारतीय पुनर्जागरण के मन्त्रदृष्टा थे। वे रहस्यवादी कवि, वेदान्ती एवं योगी होते हुए भी कर्मठता में ही जीवन की सफलता मानते थे। अपने काल के लाखों साधुओं में वे सुन्दरतम कमल की भॉति थे। वे बड़े से बड़े कष्टों में भी हँसते रहते थे और कहा करते थे- “मैं हँसता हूँ और हँसू गा, मेरी आत्मा हँसने के लिए बनी है।” स्वामी राम की आत्मा का ज्ञान और आनन्द उनके सम्मुख आने वाले व्यक्ति की सम्पूर्ण आत्मा में उतरने लगता था। उनके व्यक्तित्व में उन महान आत्माओं का उच्च आदर्श दिखाई देता था, जिन्होंने किसी समय उपनिषदों की रचना की थी और वैदिक ऋचाओं का गान किया था ।
वे निर्भयता का पाठ पढ़ाते थे-
क्या तुम डरते हो ? किससे ?
ईश्वर से ? तब तो मूर्ख हो ।
सनुष्य से ? यह तो कायरता है।
पंच भूतों से ? उनका सामना करो ।
अपने आप से ? जानो अपने आप को-
कहो “अहं ब्रह्मास्मि” ।
स्वामीजी ने उत्तर भारत में नव वेदान्त के प्रचार का शंखनाद किया ।
उनके स्वभान में हमें एक उगड़ता हुआ क्षग-क्षण बाहर फूट पड़ने वाला आहाद दृष्टिगोचर होता है। कठिन ने कठिन कष्ट और अभाव में भी उन्हें विपाद छू नहीं पाता ।
स्वामी राम ने शंकराचार्य के अद्भुत वेदान्त की व्यावहारिक व्याख्या करके उन भक्ति और कर्म तक ही नहीं, मानव सेवा तक व्यापक बनाया । जापान में, अमेरिका में, वगदाद में और लौट कर पुनः भारत में उन्होंने व्याख्यानों द्वारा अपने विचारों का प्रसार कर बुद्ध और शंकराचार्य की परम्परा को अक्षुष्ण बनाये रखा। वर्तमान नैतिक अधःपतन की निराशा भरी निशा ने स्वामी राम तीर्थ के ये प्रेरणात्मक ज्ञानवर्धक लेख हमारे लिए अनमोल है ।
Author | लेखक – Swami Rama Tirtha | स्वामी राम तीर्थ